सकारात्मक विचारपुंज समेटे यह पुस्तक बताती है कि आशा और ऊर्जा की उँगली पकड़कर कठिनाइयों और चुनौतियों पर विजय पाने का हौसला किस तरह जुटाया जा सकता है। इस काल में "रणछोड़ नहीं, रणजीत बनो" निराशा और अवसाद की वैक्सीन जितनी ही उपयोगी सिद्ध हो सकती है, क्योंकि आने वाला काल मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बड़ी चुनौती लेकर आने वाला है। ऐसे समय में आपकी सकारात्मकता ही संबल है, कर्मठता ही साधन है। यह पुस्तक आपमें सकारात्मकता और कर्मठता का संचार करेगी और सफलता की प्रेरणा बनेगी। गहरे अंधकार को प्रकाश की एक किरण भी आलोकित कर देती है। सतत प्रयास, गहन अध्ययन, दृढ़ संकल्प और एकाग्रता का संधान करके हम प्रकाश की उस किरण को देख सकते हैं। हम जीवन के कुरुक्षेत्र में आत्मसंयम, विश्वास, साहस, लगन और दृढ़ संकल्पशक्ति रूपी शस्त्रों से सज्जित होकर निर्णय पर दृढ़ रहे तो निश्चय ही 'रणजीत' बनकर विजय पथ पर अग्रसर होंगे।