क्या आप भी अपनी मुश्किलों से थक चुके हैं? क्या कभी ऐसा लगा है कि आपकी राह में आ रही दीवारें कभी न टूट सकेंगी? यह कहानी उन दो युवाओं की है, जिन्होंने खुद को मुश्किलों में घिरा हुआ पाया, लेकिन उनके इरादे इतने मजबूत थे कि उन्होंने उन दीवारों को पार कर लिया। जानिए कैसे आनंद और प्रीति ने अपनी मेहनत और विश्वास से अपनी किस्मत बदल डाली।

 

बिहार के एक छोटे से कस्बे में एक चाय की दुकान थी, जहां आनंद हर सुबह अपने पिता के साथ काम करता था। यह दुकान किसी बड़े व्यापार का प्रतीक नहीं थी, बस एक साधारण सी जगह, जहां सुबह-शाम लोग चाय पीने आते थे। लेकिन आनंद का दिल कहीं और था। उसकी आंखों में एक सपना था, एक ऐसी दुनिया का सपना, जो उसकी चाय की दुकान से बहुत दूर थी। हर दिन, वह अपनी किताबों में खो जाता था, पुराने टेबल पर बैठकर कोडिंग सीखता और मोबाइल स्क्रीन पर टेक्नोलॉजी की दुनिया के बारे में पढ़ता। वह जानता था कि उसकी मंजिल चाय की दुकान नहीं हो सकती, लेकिन इसके लिए उसे एक लंबा और कठिन रास्ता तय करना था।


वहीं, कस्बे के दूसरी ओर, प्रीति नाम की एक लड़की भी थी, जिसका सपना कुछ बड़ा था। वह सरकारी स्कूल में पढ़ाई करती थी और अपने पिता के साथ छोटे-मोटे कामों में मदद करती थी। प्रीति का सपना था कि वह UPSC की परीक्षा पास कर अफसर बने। लेकिन उसके पास कोचिंग और अच्छी किताबों की अभाव था। फिर भी, उसने कभी हार नहीं मानी। उसके पास कुछ नहीं था, लेकिन उसमें कुछ खास था — विश्वास और संघर्ष का इरादा।


आनंद और प्रीति के जीवन की राहें बहुत अलग थीं, फिर भी उनके मन में एक समान भावना थी — अगर मेहनत और विश्वास है, तो किसी भी दीवार को पार किया जा सकता है। दोनों के दिन की शुरुआत एक जैसी ही होती थी। आनंद सुबह जल्दी उठता, चाय की दुकान पर काम करता, फिर अपनी किताबों में खो जाता। वही प्रीति भी सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करती थी, लेकिन उसे यह भी पता था कि अगर उसे अपनी मंजिल तक पहुंचना है, तो उसे हर दिन कुछ नया सीखना होगा।

कई बार प्रीति अपने पिता से कहती, "पापा, मुझे UPSC की तैयारी करनी है, लेकिन मेरे पास सही किताबें और कोचिंग नहीं हैं। क्या आप मेरी मदद करेंगे?" उसके पिता हमेशा मुस्कराते हुए कहते, "जो हो सकेगा, वह मैं करूंगा, लेकिन याद रखना, सच्ची मेहनत और लगन से ही सपने पूरे होते हैं।"

प्रीति को यह सब आसान नहीं लगता था, लेकिन वह जानती थी कि अगर इरादा मजबूत हो, तो कोई भी मुश्किल उसे रोक नहीं सकती। वहीं आनंद भी अपनी परिस्थिति से जूझ रहा था। चाय की दुकान पर काम करते हुए, वह अपने सपनों को हकीकत में बदलने की कोशिश कर रहा था। वह जानता था कि उसे कोडिंग सीखनी होगी, लेकिन उसके पास कोई गाइडेंस नहीं था। फिर भी, उसने खुद से वादा किया कि वह कभी हार नहीं मानेगा।

एक दिन, आनंद और प्रीति की मुलाकात एक पुरानी लाइब्रेरी में हुई। वहां दोनों ने एक-दूसरे की आंखों में अपनी मेहनत और संघर्ष की चमक देखी। आनंद ने धीरे से प्रीति से पूछा, "क्या तुम UPSC की तैयारी कर रही हो?" प्रीति मुस्कराते हुए बोली, "हां, तुम्हें क्या लगता है?" आनंद ने झिझकते हुए कहा, "मैं भी कुछ बड़ा करना चाहता हूं, बस मुझे कोडिंग सीखनी है, गूगल जैसी बड़ी कंपनियों में काम करने का सपना है।" प्रीति ने उसकी आंखों में उत्साह देखा और कहा, "तो क्या तुम जानते हो, सपने वही पूरे होते हैं जिनमें विश्वास और संघर्ष हो!"


समय का यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा। आनंद और प्रीति दोनों दिनभर लाइब्रेरी में एक साथ पढ़ते थे, लेकिन कभी एक-दूसरे से अपनी मुश्किलों को साझा नहीं करते थे। एक दिन प्रीति ने आनंद से कहा, "तुम्हारी मेहनत देखकर लगता है कि तुम बहुत दूर जाओगे।" आनंद ने जवाब दिया, "तुमसे यह सुनकर अच्छा लगता है, लेकिन मुझे अकेले ही रास्ता तय नहीं करना है। तुम्हारे जैसे कुछ लोग चाहिए जिनके साथ चलकर हमें आगे बढ़ना है।"

आनंद को कई बार यह महसूस हुआ कि उसके हालात उसके खिलाफ हैं। चाय की दुकान और छोटे से कस्बे में रहकर वह गूगल जैसी बड़ी कंपनी में कैसे काम कर सकता है? लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी। उसने खुद से वादा किया कि वह कभी रास्ते से नहीं हटेगा। वहीं प्रीति को भी बहुत सी कठिनाइयाँ आईं, लेकिन उसने तय किया कि उसकी मेहनत और लगन किसी भी दीवार को पार करने के लिए काफी होगी।

आनंद ने एक नया लैपटॉप खरीदने के लिए धीरे-धीरे कुछ पैसे इकट्ठा करने शुरू किए, लेकिन फिर भी वह पूरी रकम नहीं जुटा पाया। तब उसने ठान लिया कि अपना पुराना मोबाइल बेच देगा, ताकि लैपटॉप खरीद सके। इस तरह उसने एक साधारण सा लैपटॉप खरीदा और ऑनलाइन कोर्स करने शुरू किए। धीरे-धीरे उसने कोडिंग में अपनी क्षमताओं को निखारना शुरू कर दिया। किताबों और ऑनलाइन कोर्स से उसने बहुत कुछ सीखा और एक दिन उसने गूगल में अपना पहला प्रोजेक्ट सबमिट किया। वहीं प्रीति ने भी अपनी मेहनत जारी रखी। कोचिंग के बिना, वह अपने किताबों से जितना भी सीख सकती थी, वह करती रही। गणित, राजनीति, समाजशास्त्र — सब कुछ खुद से सीखने का कठिन रास्ता उसने अपनाया।

समय यूँ ही बीतता रहा, हर दिन नई चुनौतियाँ और संघर्ष आते रहे। लेकिन आनंद और प्रीति ने कभी हार नहीं मानी। और फिर एक दिन ऐसा आया जब उनकी मेहनत रंग लाई, और उनके सपने सच हो गए। आनंद को गूगल से इंटरव्यू के लिए बुलाया गया, और प्रीति को UPSC के लिए कॉल आया। उन दोनों को अब यह यकीन हो गया था कि अगर इरादे मजबूत हों, तो किसी भी हालात को पार किया जा सकता है। कुछ महीने बाद, प्रीति का नाम UPSC की फाइनल लिस्ट में था और वह अफसर बन चुकी थी। आनंद को गूगल से जॉब ऑफर मिला और वह अब एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन चुका था।


प्रीति ने एक बार आनंद से पूछा, "तुमने कैसे किया?" आनंद मुस्कराकर बोला, "यह नहीं कि मैं खास था, बस इरादा मजबूत था।" प्रीति ने कहा, "क्या तुम्हें कभी ऐसा नहीं लगा कि हालात बहुत मुश्किल हैं?" आनंद ने गहरी सांस ली और कहा, "जी हां, हालात मुश्किल जरूर थे लेकिन मैंने एक बात सीखी है, अगर इरादे मजबूत हों, तो हालात कभी दीवार नहीं बनते।"

आज प्रीति और आनंद दोनों अपने-अपने रास्ते पर सफल हैं। प्रीति एक अफसर बन चुकी है और आनंद गूगल में सॉफ्टवेयर इंजीनियर। उनकी कहानी यह साबित करती है कि अगर आपके इरादे मजबूत हैं, तो कोई भी मुश्किल आपको रोक नहीं सकती।

यह सिर्फ आनंद और प्रीति की कहानी नहीं थी... यह हर उस इंसान की कहानी है जिसने हालातों से टकराना सीखा, हार को गले से नहीं लगाया, और सपनों को छोड़ना नहीं सीखा। हालात जब पहाड़ बन जाएं और संसाधन जब साथ छोड़ दें, तब सिर्फ एक चीज़ साथ देती है, और वह है आपका मजबूत इरादा। अगर दिल से ठान लिया जाए, तो एक चाय वाले का बेटा गूगल पहुंच सकता है, और एक साधारण स्कूल की बेटी अफसर बन सकती है।

याद रखिए — जो अपने इरादों पर अडिग रहते हैं, उनके सामने दुनिया की कोई दीवार टिक नहीं सकती।”

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